क्या आप जानते हैं कोशिका किसे कहते हैं ( koshika kise kahate hain ) और कोशिका की संरचना कैसी होती है। अगर आपको नहीं पता तो मैं बता दूं कि कोशिका हमारे शरीर की एक बहुत छोटी इकाई है। और जब कई सारी कोशिकाएं मिलती हैं तो एक उत्तक का निर्माण करती हैं या कह सकते हैं कि एक अंग का निर्माण करती है।
और जब इनकी संख्या हजारों या करोड़ों में हो जाती हैं तो एक स्वरूप की आकृति का निर्माण करती है जिसे हम अलग-अलग नामों से जानते हैं जैसे पेड़-पौधे, जीव जंतु, मनुष्य, इत्यादि।
दोस्तों आज हम आपको कोशिका किसे कहते हैं और कोशिका की संरचना को समझाने जा रहे हैं। तो चलिए देखते हैं कोशिका किसे कहते हैं?
कोशिका Cell ( Koshika Kise Kahate Hain )
इस संसार में पाए जाने वाले सभी प्राणियों के शरीर छोटी छोटी इकाइयों से मिलकर बने होते हैं। इन इकाइयों में जीव द्रव्य भरा होता है। जीव द्रव्य के साथ पाई जाने वाली छोटी इकाइयों को हम कोष कहते हैं। इन छोटे-छोटे कोषों कोही हम कोशिका या cell।कहते हैं।
कोशिका इतनी छोटी होती है कि उसे नंगी आंखों से देखा ना असंभव होता है। हम केवल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से ही कोशिका को देख सकते हैं। जब हम कोशिका को सूक्ष्मदर्शी की मदद से देखते हैं तो कुछ इस प्रकार की संरचना नजर आती है:
कोशिका की संरचना
कोशिकाओं से ही किसी जीव की आकृति निर्धारित होती है। हमारी पृथ्वी पर एक कोशिकीय जीव भी पाए जाते हैं और बहू कोशिकीय जीव पाए जाते हैं।
जितने भी एक कोशिकीय जीव हैं उन सभी में केवल एक कोशिका पाई जाती है। और जितने भी बहू कोशिकीय जीव हैं उन सभी में अनेकों अनेक कोशिकाएं पाई जाती हैं। कोशिकाओं के आधार पर ही यह जीत बहुत बड़े से बड़े तथा बहुत छोटे से छोटे हो सकते हैं।
कोशिका की आंतरिक संरचना
जीव जंतुओं में जो कोशिकाएं पाई जाती हैं उनमें उनकी आंतरिक संरचना लगभग अलग अलग होती है। आंतरिक संरचना का अलग होना कोशिकाओं से किए जाने वाले कार्य पर निर्भर करता है।
आपने देखा होगा कि हमारा जो हाथ होता है उसमें हथेली की तरफ वाली कोशिकाएं बहुत कठोर होती हैं तथा हाथ के ऊपर वाली कोशिकाएं बहुत मुलायम होती है। तो यह सब कोशिकाओं की आंतरिक संरचना के द्वारा ही निर्धारित होता है।
कोशिका की आंतरिक संरचना इस प्रकार है:
1. Cell Wall कोशिका भित्ति
कोशिका सैलूलोज की बनी एक झिल्ली से ढकी होती है। इसे ही कोशिका भित्ति कहते हैं। पेड़ पौधों में कोशिका भित्ति पारगम्य में होती है। तथा जीव जंतुओं में यह बहुत ही पतली और मुलायम होती है जिसके कारण दिल्ली के अणु आवश्यकतानुसार अपना आकार बदल लेते हैं।
कोशिका भित्ति का मुख्य कार्य कोशिका के आंतरिक अंगों को चोट लगने से बचाना है तथा बाहर से लगने वाली चोटों से भी बचाव करना है।
2. Protoplasm जीव द्रव्य
कोशिका के अंदर एक गाढ़ा रसदार चिपचिपा सफेद पदार्थ भरा होता है। इस गाने रफ्तार चित्र पर सफेद पदार्थ को ही जीव द्रव्य कहते हैं। यह रंगहीन, गंध हीन, अर्थ तरल, लचीला, संवेदनशील, जेली के समान होता है।
यह कोशिकाओं में होने वाले सभी क्रियाओं को पूरा करता है। जीव द्रव्य को ही जीवन का भौतिक आधार माना जाता है। अगर कोशिका में जीव द्रव्य नहीं होगा तो कोशिका का जीवित रहना असंभव है।
3. Nucleus केंद्रक
जीव द्रव्य के बीच में एक चिपचिपी, दानेदार द्रव्य को गहरे एक झिल्ली पाई जाती है, जिसे केंद्रक कहते हैं। केंद्र कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। कोशिका में होने वाली सभी जीवन की राय इसी के द्वारा संचालित या नियंत्रित होती हैं।
4. Cytoplasm कोशिका द्रव्य
कोशिका के अंदर के द्रव्य को कोशिका द्रव्य या साइटोप्लाज्म कहते हैं। प्रत्येक कोशिका के भीतर कोशिका द्रव्य में चारों ओर बिखरे नन्हें-नन्हें कॉल या बिंब के आकार के बहुत से कण भी रहते हैं। इन्हें लवक कहते हैं लवक उन सभी कोशिकाओं में पाए जाते हैं जिन्हें विशेष प्रकार के कार्य करने होते हैं।
लगभग तीन प्रकार के होते हैं:
- प्रवर्णी लवक
- हरित लवक
- वर्णी लवक
प्रवर्णी लवक
ये सफ़ेद होते है। और साधारण रीति से ज़मीन के भीतर रहने बाले तनो जैसे आलू में ही पाए जाते है। ये पदार्थ को संग्रहित रखने का काम करते है।
हरित लवक
ये हरे रंग के होते है। इनके भीतर क्लोरोफ़िल नामक हरा रंग होता है। पेड़ के समस्त हरे भाग की कोशिकाओं में यह रहते हैं। इनका मुख्य काम हवा की कार्बन डाइऑक्साइड से भोजन बनाने का होता है।
वर्णी लवक
यह विभिन्न रंगों जैसे लाल पीला नारंगी आदि के होते हैं यह साधारण तो है फूलों की रंगीन पंखुड़ियों में पाए जाते हैं इनका मुख्य कार्य फूलों को लुभावना और मोहक बनाना होता है।
जंतु कोशिका किसे कहते हैं?
कोशिकाओं में सेल्यूलोज की दीवार नहीं होती है। चीन में कोशिका के भीतर दर्द भरा होता है और मध्यम एक केंद्रक रहता है। सभी जीव जंतुओं में केंद्रक रहता है। केंद्र के पास एक एक गोल आकार और होता है जिसे आकर्षण गोला कहते हैं इसे तारक काय भी कहते हैं। तारक काय के भीतर एक छोटा सा आकार रहता है जिसे तारक केंद्र भी कहते हैं।