विटामिन खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले संकीर्ण रासायनिक पदार्थ हैं। इनका स्वास्थ्य से घनिष्ठ संबंध होता है। स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए भोजन विटामिन की पर्याप्त मात्रा का होना अत्यंत आवश्यक है।
यह शरीर में उर्जा उत्पन्न करने वाले पदार्थों के निर्माण तथा उनके सही उपयोग पर नियंत्रण करते हैं। इनकी कमी से शरीर में अनेक प्रकार के रोग हो जाते हैं इसे वृद्धि तत्व कहते हैं|
सन 1953 मैं अंग्रेज नाविक सर रिचर्ड हाकिंस ने यह देखा कि नाविकों को इस स्कर्वी रोग बहुत होता है और यह रोग संतरे के उपयोग से ठीक हो जाता है।
सन 1881 में एन० आई० लुनिन ने सर्वप्रथम विटामिन की खोज की तथा यह भी बताया कि इनकी सूक्ष्म मात्रा का भोजन में होना अति आवश्यक है। विटामिन शब्द का अर्थ है जीवन के लिए आवश्यक|
विटामिंस शाक वर्ग के भोजन में बहुतायत से प्राप्त होते हैं। साथ ही मांश वर्ग के भोजन में भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं। शरीर में इनका संचय बहुत कम मात्रा में होता है।
इनके अधिकांश मात्रा मूत्र के साथ निष्कासित हो जाती है इस कारण इन्हें प्रतिदिन भोजन के साथ ग्रहण करना आवश्यक होता है।
विटामिन के प्रकार
वर्तमान समय में लगभग 20 प्रकार के विटामिन की खोज की जा चुकी है परंतु इनमें से केवल 6 विटामिन ही मानव के लिए अति उपयोगी है.
इन्हें दो वर्गों में विभाजित किया गया है:
- जल में घुलनशील विटामिन
- वसा में घुलनशील विटामिन
1.जल में घुलनशील विटामिन-
विटामिन जो वसा मैं अघुलनशील होते हैं और जल में घुलनशील होते हैं|
. विटामिन B कॉम्प्लेक्स
विटामिन बी कांप्लेक्स एक महत्वपूर्ण विटामिन का समूह है विटामिनों के गुणधर्म कार्य प्रभाव आदि भिन्न भिन्न होते हैं। इनका संछिप्त परिचय इस प्रकार है।
(क) विटामिन B1 –
विटामिन B1 का रासायनिक नाम थायमिन होता है इसकी खोज परी परी लोक के कारणों की खोज के संदर्भ में 1880 ईस्वी में डॉक्टर तकाकी में प्रारंभ की थी| 1911 एचडी में फंक महोदय ने पक्षियों में पाए जाने वाले टेरिटरी को नामक रोग के उपचार के लिए चावल के ऊपर से एक पदार्थ रवे के रूप में प्राप्त किया| इस पदार्थ को विटामिन B1 कहा गया| इसे थायामीन भी कहा जाता है|
विटामिन B1 प्राप्ति के स्रोत –
यह विटामिन वसा , तेल तथा शर्करा को छोड़कर अन्य अधिकांश खाता पदार्थों में उपस्थित होता है| यह गेहूँ, चावल की ऊपरी परत, अंकुरित धान्य, मूंगफली,, हरी मटर, फलों के रस आदि में यह पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है दूध में इस विटामिन की मात्रा कम होती है|
विटामिन B1 कार्य-
1.विटामिन B1 कार्बोज के चयापचय की प्रक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है|
2.रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है|
3.यह तंत्रिका तंत्र के संचालन में योगदान देता है|
विटामिन B1 हानियाँ –
1. किस विटामिन की कमी से शरीर का स्वाभाविक विकास अवरुद्ध होने लगता है|
2. भूख कम लगने लगती है|
3. व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा तैयार हो जाता है|
4. स्मरण शक्ति कमजोर होने लगती है|
5. हृदय की पेशियों में कमजोरी हो जाने पर दिल की धड़कन बहुत मन हो जाती हैं अपच बे कब्ज रहने लगती है| इन्हीं लक्षणों के सामूहिक रूप को बेरी बेरी रोग कहते हैं|
6. तंत्रिका तंत्र व्यक्तियों की कार्यप्रणाली बिगड़ जाती है जिससे लकवे की आशंका रहती है|
7. इसकी कमी करवा से शिशु के संपूर्ण विकास को बाधित करती है|
8. इसकी कमी का प्रभाव राइबोफ्लेविन के संग्रह पर भी पड़ता है| उसका संग्रह ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है|
(ख) विटामिन B2
इस विटामिन को 1935 में दूध में खोजा गया यह शारीरिक विकास के लिए अति आवश्यक है इसका निर्माण कुछ मात्रा मैं हमारी आंतो में विधमान जीवाणु द्वारा की होता है उबालने पर यह विटामिन नष्ट हो जाता है|
विटामिन B2 स्रोत –
इसकी प्राप्ति मांस, यकृत, मच्छी, मटर, टमाटर, गोभी, आलू, बंद गोभी का काजल से हो जाती है| खमीर, अंडे की जर्दी, पपीता, पनीर, बदाम, मिर्च, सोयाबीन आदि में भी यह पाया जाता है|
विटामिन B2 कार्य –
1. राइबोफ्लेविन शरीर के विकास में आवश्यक है|
2.शरीर की विभिन्न क्रियाओं के परिचालन में यह अन्य एंजाइमों के साथ मिलकर कर कार्बोज,वसा, तथा प्रोटीन केचयापचय में सहायक होता है.
3.पाचन शक्ति को सुदृढ़ बनाता है
4.यह त्वचा को चिकना और कांतिमय बनाता है|
विटामिन B2 कमी से हानियाँ
- इसकी कमी से त्वचा रूखी व झुरीदार हो जाती है|
- इसकी कमी से चीफ कारण कुछ-कुछ बैंगनी लालसा हो जाता है तथा भोजन ग्रहण करते समय जलन एवं पीड़ा होती है|
- अत्यधिक कमी से रक्त के श्वेत कणों की बिभिन रोगों के साथ लड़ने की क्षमता घट जाती है|
- आंख सूज जाती है धुंधला दिखाई देने लगता है साथ ही आंखों में खुजली एवं जलन भी होती है|
- इसकी कमी की स्थिति में कार्बोज चयापचय ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है|
- कल परसों में यदि राइबोफ्लेविन की कमी हो जाती है तो उनके अंडकोष में घाव हो जाते है|
(ग) विटामिन B3
इस का रासायनिक नाम नियासिन होता है यह जल में घुलनशील है रंगहीन, स्वाद में कसैला व आकार में सुई के समान होता है इस विटामिन का ताप. वायु, प्रकाश तथा अम्ल का किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता क्या यह पकने पर कि नष्ट नहीं होता है|
विटामिन B3 स्रोत
इसकी कुछ मात्रा का निर्माण हमारे हाथों में विद्वान बैक्टीरिया द्वारा होता है साथ ही ट्रिप्टोफेन नामक एमिनो अम्ल से भी इसका निर्माण होता है यह छिलके सहित आनाजो, दूध, मक्खन, पिस्ता, वादाम, अंडा, खमीर,, चावल, मूंगफली, आदि में इसकी अच्छी मात्रा पाई जाती है|
विटामिन B3 कार्य
1. शरीर के स्नायु कोसों तथा रक्त कोषो की सुचारू क्रियाशीलता एवं स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है|
2. शरीर में थेलियम या लेट के बिष के व्याप्त हो जाने पर इसके द्वारा उपचार किया जाता है|
3. मधुमेह नामक रोग में दिए जाने वाले इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाने में भी सहायक है|
4. पाचन तंत्र के सुचारू सकता है त्वचा को स्वस्थ रखता है|
5.यह कार्बोज,वसा तथा प्रोटीन केचयापचय में भी सहायक होता है|
विटामिन B3 कमी से हानियां
किसकी कमी से त्वचा संबंधी रोग हो जाते हैं व्यक्ति को भूख कम लगती है कमजोरी, अनिद्रा, सिर दर्द, चिड़चिड़ापन डर पाचन संबंधी रोग होने लगते हैं तंत्रिका तंत्र के छीन हो जाने पर रोगी पागल भी हो जाता है| कभी-कभी रोगी की मृत्यु नहीं हो जाती है|
(घ) फोलिक एसिड-
यह एक महत्वपूर्ण विटामिन है शरीर क्या है नियमित रूप से कार्य करने के लिए इसका प्राप्त होना अति आवश्यक है क्या विटामिन कुंजी वालों की वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है इस कारण पीला नारंगी सा होता है तक आया है स्वाद रहित, गंध रहित व् सुई इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता परंतु अम्ल का विघटन हो जाता है के आकार का होता है| प्रकाश का इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|
फोलिक एसिड स्रोत
यह यकृत, खमीर, हरी साग सब्जियों, तथा पालक में इसकी सर्वाधिक मात्रा होती है साथ ही हमारी आंखों में कुछ ऐसे जीवाणु होते हैं जो इसका निर्माण करते हैं|
फोलिक एसिड कार्य
यह को एंजाइम के रूप में कार्य करता है| यह निर्माण में सहायक है भूख बढ़ाता है तथा बायोटीन के साथ मिलकर यकृत में पेंताथिनिक एसिड के संग्रह में सहायक होता है|
फोलिक एसिड कमी से हानियां
- इसकी कमी से रक्त में जगने की क्षमता घटने लगती है चोट लगने पर सख्त के थक्के नहीं चाहते हैं|
- शरीर में विभिन्न संस्थान इससे प्रभावित होते हैं रक्त के स्वभाव की शक्ति क्षीण हो जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होने लगती है|
- शरीर दुर्बल हो जाता है सांस लेने की गति तेज हो जाती है|
- रक्त संचालन की गति मंद हो जाती है|
- रक्त की कमी हो जाती है जिससे एमेनिया रोग हो जाता है वजन कम होने लगता है शरीर पीला होने लगता है यह रोग एमीनिया मेग्लोब्लास्तिक कहलाता है|
(ड) विटामिन B12
इसकी खोज परनीशियम एमिनिया के कणों की खोज के संदर्भ में हुई| यह लाल रंग का एक रवेदार योगिक है इसकी प्राप्ति, मछली मांस, अंडा यकृत से हो जाती है| इसके अतिरिक्त है विटामिन प्रावधान न्यू मात्रा में विद्यमान रहता है|
यह विटामिन शरीर के पौधों में होने वाली चयापचय किक्रिया में एक को एंजाइम के रूप में कार्य करता है किसकी कमी से रक्त में लाल कणों के निर्माण की प्रक्रिया तथा शारीरिक वृद्धि बाधित हो जाती है|
(च) विटामिन सी
मानव शरीर के लिए यह विटामिन अति आवश्यक है यह जल में घुलनशील है इस पर भी नामक रोग के लिए अति आवश्यक है|
विटामिन सी स्रोत
विटामिन सी हरी साग सब्जियों, ताजे फलों, विशेषकर नींबू संतरे आदि रसीले खट्टे फलों में अधिक मात्रा में पाया जाता है केले, ताजी हरी मिर्च, अमरूद, अनानास, तरबूज आदि में होता है सबसे अधिक यह आवले में होता है अंकुरित अनाजों गायक तालों में हदीस की कुछ मात्रा पाई जाती है किंतु पदार्थों को अधिक पकाने उबालने से या नष्ट हो जाता है परंतु आंवले में विद्यमान विटामिन पर ताप का विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है\
विटामिन सी कार्य
- यह भागों को भरने में सहायक होता है|
- यह पीयूष ग्रंथि के सही रूप में कार्य करने में भी सहायक है|
- यह को एंजाइम के रूप में कार्य करता है|
- यह ऊतकों की कोशिकाओं को बांधे रखता है|
- आस्थीयो के निर्माण में लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में सहायक है|
- इसकी कमी से बच्चों की आंखों में दर्द और सांस लेने में कठिनाई होती है|
- यह रोग निरोधक क्षमता के विकास में सहायक है|
- यह कैल्शियम बैल और लवण के शोषण में सहायता करता है
- यह है लोहे को फेरस अवस्था में परिवर्तित कर देता है जिससे शरीर में इसका सरलता से शोषण हो जाता है|
विटामिन सी कमी से हानियां-
इस विटामिन की कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है किंतु इसके लक्षण बच्चों का वह बड़ों में भी भिन्न-भिन्न होते हैं इस रोग की प्रबल स्थिति में व्यक्ति ही भूख कम हो जाती है निरंतर बेचैनी का का शरीर की त्वचा में नीचे खराब होने लगता है| उसके मसूड़े फूल जाते हैं शरीर में ऐंठन होती है तथा कहा वह को भरने में भी महीनों लग जाते हैं आस्तथियो तथा दांतों की वृद्धि रुक जाती है|
दैनिक आवश्यकता-
मनुष्य को विटामिन सी की प्रतिदिन आवश्यकता होती है एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन 20 से 30 मिलीग्राम विटामिन सी की आवश्यकता होती है गर्भवती स्त्रियों में स्तनपान कराने वाली माताओं को इसकी अधिक मात्र की आवश्यकता होती है|
SN | किसके लिए | ICMR 1993 mg | FAO 1970 mg वयस्क |
---|---|---|---|
1. | पुरुषों के लिए | 40 | 30 |
2. | वयस्क स्त्रियों के लिए | 40 | 30 |
3. | गर्भवती स्त्रियों के लिए | 40 | 50 |
4. | स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए | 80 | 50 |
विभिन्न भोज्य पदार्थों में विटामिन C की मात्रा
भोज्य पदार्थ | प्रति में विटामिन C की मात्रा (mg में ) |
---|---|
आँवला | 700 |
संतरा | 68 |
अमरूद | 300 |
पका टमाटर | 32 |
गाजर | 3 |
पत्तागोभी | 123 |
नींबू | 62 |
मौसमी | 60 |
अनन्नास | 63 |
पालक | 28 |
मूली | 15 |
2. वसा में घुलनशील विटामिन-
विटामिन ए, डी,इ, के वसा में घुलनशील विटामिन है|
(क) विटामिन ए (A )
यह विटामिन अल्कोहल वर्ग का पदार्थ है वनस्पति जगत में हरे शाख, तथा कुछ फलों में कैरोटीन एवं पदार्थ होता है जब इन चीजों को हम खाते हैं यह पदार्थ हमारे शरीर में पहुंचता है यकृत कैरोटीन को विटामिन ए में परिवर्तित कर देता है जिससे हमारे शरीर के लिए उपयोगी सिद्ध होता है इसका अधिकांश भाग यकृत में जमा रहता है|
विटामिन ए (A ) स्रोत
विटामिन ए दूध अंडे की जर्दी, मक्खन काजू, अखरोट, बादाम, प्राय सभी मेंवों में पाया जाता है यह हरी सब्जी ताजे फलों पालक गाजर सलाद संतरा टमाटर आती नहीं है बहुत आयशा में होता है वनस्पति तेलों में केवल मूंगफली और ताल के तेल में ही यह विटामिन होता है जो गाय हरा चारा खाती है उनके दूध मेंभूसा खाने वाली गायों के दूध की अपेक्षा अधिक मात्रा में विटामिन ए होता है होता है|
विटामिन ए से देर तक पकने से नष्ट हो जाता है अतः भोजन पकाते समय इस बात का ध्यान रखना अति आवश्यक है कि ठंडे से यह नष्ट नहीं होता इसी कारण आइसक्रीम जमाने पर भी दूध का विटामिन ए नष्ट नहीं होता है|
विटामिन ए (A ) कार्य एवं महत्व
- शरीर के समुचित विकास में सहायक|
- दांतो को मजबूत और चमकीला बनाए रखने में सहायक होता है|
- यह पाचन क्रिया, आमाशय तथा क्लोम ग्रन्थियो के कार्य में सहायक है|
- रोग में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है|
- यह त्वचा में मौजूद एपीथिलियम ऊतकों को स्वस्थ बनाए रखता है|
- यह कार्बोज के स्मुचीय पाचन में विशेष रुप से सहयोगी होता है|
विटामिन ए (A ) कमी से हानियां –
आहार में विटामिन ए की कमी का सर्वाधिक प्रभाव त्वचा में आंखों पर पड़ता है| इसकी कमी से आंखों में रतौंधी तथा कॉर्निया कजिशेसिस नामक रोग हो जाता है विभिन्न ग्रंथ निष्क्रिय हो जाती हैं गुर्दों में पथरी हो जाती है संक्रमण बढ़ जाता है|
विटामिन ए (A ) अधिकता से हानियां
शरीर में इसकी अधिकता से एक प्रकार का विश्व पर हो जाता है जिससे स्वभाव चिड़चिड़ा,, थकावट, नींद आना, वजन कम होना, करके गोदी में सूजन आना आधी परेशानियां होती है इसके अतिरिक्त यकृत तथा तिल्ली बढ़ जाते हैं रीड की हड्डी में तथा जोड़ों में दर्द होने लगता है|
(ख) विटामिन डी
विटामिन डी 1 सर्व सुलभ विटामिन है क्योंकि इससे प्राप्त करने का महत्वपूर्ण स्रोत सूर्य की पराबैंगनी किरणें हैं इसकी खोज बिल्स, मिलन बाय तथा मैकलम ने की थी|
विटामिन डी स्रोत
सूर्य की किरणों में शरीर खुला रहने से या विटामिन शरीर में बन जाता है विटामिन डी प्राप्ति का यह आसान तरीका है आहार में विटामिन डी की प्राप्ति केवल पशु जगत से ही प्राप्त होने वाले भोजज्य पदार्थों से होती है जैसे-जैसे दूध मक्खन अंडे की जर्दी आदि|
विटामिन डी कार्य
इस विटामिन की उपस्थिति में हमारे शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस उचित मात्रा में संग्रहित होते हैं जिससे हमारे दांतो का हड्डियों का स्वास्थ्य का विकास ठीक रहता है हड्डियों को सुदृढ़ता प्रदान करता है|
विटामिन डी कमी से हानियां
इसकी समुचित मात्रा ना मिलने से अस्थिविकृति नामक रोग हो जाता है यह रोग बच्चों में होता हैअस्थिता किशोर दृढ़ता कम हो जाती है जिससे हल्की सी ठंड लगने से भी अस्थि टूटने का भय रहता है इसी कमी से बच्चों में दांत शिग्र गिरने लगते हैं|
विटामिन डी अधिकता से हानियां
विटामिन डी की अधिकता से कैसे संभव फास्फोरस आवश्यकता से अधिक मात्रा होता है यह गुर्दों व रक्त वाहिनी ओं में एकत्रित होता है जिससे शारीरिक कष्ट हो जाते हैं साथ ही इसके अधिकता से अपच, भूख ना लगना, थकावट चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, और इससे स्मरण शक्ति ही प्रभावित होती है|
(ग) विटामिन ई
इसका रासायनिक नाम टाकोफेराल है इसकी खोज मेटिला ईवान्स तथा सुर नामक वैज्ञानिक ने की है|
विटामिन ई स्त्रोत
विटामिन ई की प्राप्ति अंकुरित अनाजों जैसे – गेहूं व मक्का के अंकुर से हो जाती है हरी सब्जियां तथा विशेषकर प्यार में अधिक मात्रा में होता है|
इस पर अमल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता लोहे व जस्ते के बर्तन में पकाने से इसकी पदार्थ मात्रा नष्ट हो जाती है यदि अधिक समय तक चिकनाई युक्त पदार्थों में रखा जाए तो इसकी कुछ मात्रा नष्ट हो जाती है सूर्य की किरणों के संपर्क में इसका भी घटन हो जाता है|
विटामिन ई कार्य
- यह विभिन्न ग्रंथियों की क्रियाओं को समुचित रूप से संचालित होने में सहायक होता है|
- पुरुष तथा स्त्रियों दोनों को ही संतान उत्पादन की शक्ति एवं क्षमता प्रदान करता है इसके अभाव में स्त्रियों में बांझपन तथा पुरुषों के नपुसंकता के लक्षण दिखाई देते हैं|
- यह शरीर के लिए अन्य आवश्यक विटामिनों की रक्षा करता है|
विटामिन ई कमी से हानियां
किसी कमी से विभिन्न मांसपेशियों का विकास सुचारू रूप से नहीं हो पाता है तथा विभिन्न ग्रंथियों से संबंधित रसो का समुचित शराब नहीं होता| साथ ही सर्वाधिक प्रभाव संतानोत्पत्ति पर पड़ता है कई बार स्त्रियों का गर्भपात भी हो जाता है|
दैनिक आवश्यकता
आयु, लिंग व अवस्था के अनुसार इसकी विभिन्न विभिन्न मात्रा की आवश्यकता होती है| प्रतिदिन इसकी एक सामान्य व्यक्ति को 10 से 3० किग्र० तक मात्रा की आवश्यकता होती है|
(घ) विटामिन K
किसकी खोज डाम औ शोनहेडर ने मुर्गी के बच्चों में होने वाले रक्त स्त्राव के कारणों को जानने के संदर्भ में की थी|
यह विटामिन दो वर्गों में होता है- K1 विटामिन हरी पत्तेदार सब्जियों कथा विटामिन K2 हमारे शरीर में आंतों में विभिन्न तहसीलों के साथ संश्लेषित करता है|
विटामिन K स्रोत
यह पालक, पत्ता गोभी, फूलगोभी, अंकुरित अनाजों, गेहूं की भूसी गाजर तथा आलू में कुछ मात्रा में पाया जाता है| इसकी थोड़ी मात्रा दूध, मांस मछली में भी उपस्थित रहती है|
विटामिन K कार्य
यह विटामिन रक्त में थक्का जमाने की क्षमता का पैदा करता है| यह क्रिया रक्त में प्रोथ्रोम्बिन की उचित मात्रा में उपस्थिति के कारण होते हैं|
विटामिन K कमी से हानियां
शरीर में विटामिन ई की कमी से होता हुआ रास्ता आसानी से रुकता नहीं है| यदि मसूड़ों में थोड़ी सी भी रगड़ लग जाये तो रक्त बहने लगता है|इसकी कमी से होने वाले रोग को गुप्त हाइपोथ्रोम्बिनिमिया कहते है |