विराम चिन्ह किसे कहते हैं in Hindi

विराम चिन्ह किसे कहते हैं in Hindi

विराम – चिन्ह की परिभाषा –

भाषा की लिखित रूप में रुकने अथवा विराम के लिए कुछ संकेत चिन्हों का प्रयोग किया जाता है , इन्ही चिन्हों को “विराम चिन्ह” कहा जाता है I

विराम – चिन्हों के प्रयोग से भाषा की अभिव्यक्ति में स्पष्टता आ जाती है और वाक्य प्रभाव पूर्ण बन जाता है I और इनके प्रयोग से अनेक स्थानों पर बात का अर्थ बदल जाता है;जैसे –

रोको मत ,जाने दो I ( वाक्य में जाने को कहा गया हैI )

रोको , मत जाने दो I ( वाक्य में रोकने को कहा गया हैI )

विराम – चिन्हों में अंतर –

प्रमुख विराम – चिन्हों के रूप –

  1. पूर्ण विराम ( | )
  2. अर्द्ध विराम ( ; )
  3. अल्प विराम ( , )
  4. प्रश्न सूचक ( ? )
  5. विस्मयसूचक / स्म्बोध्क ( ! )
  6. योजक या विभाजक ( – )
  7. निर्देशक ( डैस ) ( )
  8. अवतरण या उध्द्र्ण चिन्ह ( ” ” )
  9. कोष्ठ { } ,[ ] ( )
  10. हंसपद या त्रुतिपुरक ( < ) ( ^ ) ( / )
  11. संक्षेपसूचक ( लाघव चिन्ह ) ( ० )

1 पूर्ण विराम ( | ) –

पूर्ण विराम – चिन्ह का प्रयोग सरल, मिश्र और संयुक्त भी प्रकार के वाक्यों में किया जाता है | जैसे –

राम घर को जाता है |

हमारा पक्का विश्वास है की भारत आगे बढ़ता जाएगा |

नोट – विराम – चिन्ह का प्रयोग प्रश्न सूचक और विस्मयादिबोधक वाक्यों में नही किया जाता है |

2 अर्ध्द विराम ( ; )-

पूर्ण विराम से कम देर तक रुकने के लिए अर्ध्द विराम का प्रयोग किया जाता है इसका प्रयोग कुछ सिमित स्थितियों में आता है; जैसे –

किसी नियम के बाद में आनेवाले उदाहरणसूचक ” जैसे ” शब्द के पूर्व – स्त्रियों के नाम के साथ बहुधा ” देवी ” शब्द आता है ; जैसे –

ममता देवी |

समानाधिकार वाक्यों के बीच में ; जैसे – भारत में राजनैतिक स्वतन्त्रता का शंख महात्मा गाँधी ने फुंखा ; अहिंसा व असहयोग के अस्त्र उन्होंने ही दिए ; देश को स्वतंत्र उन्होने ही कराया |

3 अल्प विराम ( , ) –

अल्प विराम का प्रयोग वाक्य के बीच या मध्य में अर्ध्द विराम से कम समय रुकने की लिये किया जाता है |

अल्प विराम – चिन्ह का प्रयोग सबसे अधिक होता है |

इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर किया जाता है –

  1. वाक्य में एक समान पद वाले वाक्यों को अलग करने के लिए ; जैसे –

मोहन अपनी भूमि, सम्पत्ति, प्रतिष्ठा और मान – मर्यादा सभी कुछ खो बैठा |

2.हाँ या नही के बाद ; जैसे –

हाँ, फोड़ सकता हूँ |

नहीं, वह कदापि ऐसा नहीं कर सकता |

3.किसी वाक्य या उप वाक्य को अलग करने के लिए; जैसे –

इस साल कोरोना महामारी के करण स्कुल नही खुलने से, मै समझ सकता हूँ की इस बार का रिजल्ट अच्छा नही रहेगा |

4. एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृति होने पर –

भागो, भागो शेर आ गया |

5. कभी – कभी , तब,वह, आदि के स्थान पर –

तब, जब हम स्टेशन पहुचे तो रेलगाड़ी छुट गयी |

6.जब विशेषण उपवाक्य के मध्य में डाल दिया जाता जाए-

वह चोर, जिसे कल पुलिस ने पकड़ा था , आज वह जेल से भाग गया |

7. पत्र के अभी अभीवादन करने व् लिखने में –

अभीवादन से पूज्य पिता जी,

4 प्रश्न सूचक ( ? )-

प्रश्न सूचक चिन्ह निम्न स्थनों पर आते है ; जैसे –

  1. प्रश्न सूचक वाक्य के अंत में –

तुम्हारा नाम क्या है ?

2. संदेह या अनिश्चय प्रकट करने के लिये संदेहस्थल पर कोष्ठक में –

नेता और सत्यनिष्ठ ?

3.व्यंग्यात्मक भाव प्रकट करने के लिए अंत में कोष्ठक में –

आज कल के नेता हिंन्दु – मुश्लिम का मुद्दा लेकर ही चुनाव लड़ते है ( ? )

5 विस्मयसूचक / सम्बोध्क ( ! ) –

  1. विस्मयादिबोधक पदों ,वाक्यों के अंत में एस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है –

हाय ! वह मर गया |

आह ! वह मिठाई लाया है |

2. प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में मनोवेग प्रदर्शित करने के लिए –

बोलते क्यों नही, क्या गूंगे हो!

3. सम्बोधन के लिए –

मोहन ! इधर आओ |

6. योजक या विभाजक ( – ) –

योजक चिन्ह का निम्नलिखित स्थितियों में प्रयोग किया जाता है –

1.द्वंद्व एवं तत्पुरुष समास में; जैसे –

भूख – प्यास , माता – पिता , भाई – बहन

2. तुल्नावाचक सा, सी, से के पहले; जैसे –

राम – सा -भाई , राधा – सी – बहन

3. मध्य के अर्थ में ; जैसे –

अंगद – रावण संबाद

4.द्वित्व में; जैसे –

कभी-कभी , धीरे-धीरे , हाय – हाय

5.अक्षरों में लिखी जानेवाली संख्याओ और उनके अंशो के बीच में; जैसे –

एक-चौथाई , एक – तिहाई

7 निर्देश ( — )-

निम्न स्थानों पर इसका प्रयोग किया जाता है –

  1. किसी वाक्य को अधिकृत करने से पूर्व ; जैसे-

अध्यापक ने पूछा – भारत के प्रथम प्रधान मंत्री कौन थे ?

2. कहना, लिखना ,बोलना, आदि क्रियाओ के बाद; जैसे –

कमला ने कहा- में कल चली जाऊंगी |

3. निम्नलिखित शबो के अंत में; जैसे –

उनके नाम निम्न प्रकार से है

सीता , गीता, भारती और सुमन

4. किसी अवतरण के बाद और लेखक से पहले ; जैसे –

रची महेस निज मानस रखा || – गोस्वामी तुलसीदास

8 अवतरण तथा उध्दरण चिन्ह ( ” ” )-

अवतरण चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर किया जाता है –

  1. किसी व्यक्ति के कथन को मूल रूप में उद्धृत करने के लिए; जैसे-

महात्मा गाँधी जी ने कहा, ” करो या मरो “

2. किसी व्यक्ति क उपनाम , पुस्तक नाम भी इकहरे उध्दरण चिन्ह में लिखा जाता है ; जैसे –

“निराला ” छायावाद के चार स्थम्भो मे से एक है |

” साकेत ” महाकाव्य है |

9 कोष्ठक ( ) , { } , [ ] –

कोष्ठक के भीतर मुख्यतः उस सामग्री को रखते है जो मुख्य वाक्य के अंग होते हुए भी पृथक् की जा सकती है ;जैसे –

संज्ञा के तिन भेद ( व्यक्तिवाचक , जातिवाचक , भाववाचक )की विवेचना प्रस्तुत किया जा रहा है |

क्रम सूचक अंको या अक्षरों के साथ -( क ) ( ख ) ( ग ) ( 1 )( 2 ) (3 )|

10 त्रुतिपुरक या हंसपद ( 𝜆 ) –

लिखित समय जब कोइ अंश शेष रह जाता है तो उसके लिए ठीक स्थान पर यह चिन्ह लगा दिया जाता है –

आजीवन

राम जी ने ( ) सत्य का पालन किया |

11 संक्षेपसूचक ( ० )-

इस चिन्ह को लाघव चिन्ह भी कहा जाता है इस चिन्ह का प्रयोग संछिप्त रूप लिखने के लिए किया जाता है ; जैसे –

बी०ए० ,पं० , डॉ०, बी० एस० सी० आदि

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