Muscles in Hindi, मांसपेशियाँ क्या होती हैं, मांसपेशियो की संरचना, पेशियों के प्रकार, पेशियों के कार्य, मांसपेशियों की उपयोगिता, पेशियाँ और उनका स्वास्थ्य
कंकाल तन्त्र पर जो मांस का आवरण होता है, उसको पेशी संस्थान कहते है| शरीर की सभी प्रकार की गतिया अस्थियो एवं पेशियों के सम्बन्ध से ही उत्पन्न होती है। मानव शरीर में लगभग 600 मांसपेशीय पाई जाती है जो अनेको आकर व प्रकार की होती है|
शरीर को आधार स्वास्थ्य संस्थान प्रदान करता है परंतु मांसपेशियां शरीर को सुडौलता सुंदरता करती है|
मांसपेशियों में लचीली, मुलायम हल्के पीले में सफेद रंग की होती है| उनमें संकुचन व प्रसार की शक्ति होती है। शरीर के समस्त कार्य इन्ही मांसपेशियों के द्वारा होते है।
मांसपेशियो की संरचना (Structure of Muslces)-
पेशी अकेली न होकर छोटे-छोटे विभिन पेशीय ऊतको द्वारा निर्मित होती है ,जिन्हें पेशीय कोशिकाए कहते है। पेशियों में रुधिर वाहिकाओ तथा तंत्रिका – तंतुओ का जाल फैला रहता है.
छोटी-छोटी धमनिया और कोशिकयो शुद्ध रुधिर पहुंचक पेशियों को पोषक आहार प्रदान करती है तथा शिराए पेशियों से अशुद्ध को बाहर ले जाकर उनमे उत्पन्न हानिकारक द्रव्यों को बाहर निकलता है ।
रुधिर प्रवाह के कर्ण ही पेशी का रंग लाल दिखाई देता है। तंत्रिका तन्तु पेशियों को मस्तिष्क या रीढ़- रज्जू से सम्बन्धित करते है जिसके फलस्वरूप मस्तिष्क या रीढ़-रज्जू एन पेशियों के कार्यो पर नियन्त्रण रखते है |
प्रत्येक पेशी के मुख्य तीन भाग होते है – ऊपरी शिरा मूल कहलाता है , बिच का मोटा भाग तुंन्द कहलाता है पर निचले सिरे को निवेशन कहते है। ये दोनों सिरे पतले डोर के समान श्वेत ऊतक के बने होते है। इन डोरियो को मांस रज्जू टेंडन कहते है। निवेश की अपेक्षा मूल अधिक मजबूती से बंधा रहता है।
मांसपेशियों की संरचना मुखत: जल,प्रोटीन,खनिज, वसा, लवण आदि होते है। प्रोटीन म एक्टिं तथा मायोसीन मुखत: भाग होते है। इनमे 70% के लगभग जल होता है। मृत्यु के पश्चात जल के सुख जाने पर तथा प्रोटीन म स्वभाविक लचिलापं समाप्त होने पर मांसपेशिया सख्त हो जाती है। जिससे शरीर कड़ा हो जाता है।
पेशियों के प्रकार ( Type of Muscles )
पेशियों में दो प्रकार की गति होती है।
1.संकुचन
2. शिथिलन
पेशी का संकुचन और शिथिलिन भी दो प्रकार का होता है –
- ऐच्छिक ( Voluntary Muscles )
- अनैच्छिक ( Involuntry Muscles )
ऐच्छिक गति से तात्पर्य है वह गति जो मनुष्य की अपनी इच्छानुसार नियमित हो |ऐसी गति करने वाली पेशी को ऐच्छिक पेशी कहते है , जैसे – हाथ – पैर चेहरा आदि की | अनैच्छिक गति वाली पेशियाँ स्वयं ही कार्य करती है और मनुष्य की इच्छा द्वारा नियमित नही होती ;जैसे – आमाशय, ह्रदय आदि की |ऐसी पेशियों को अनैच्छिक पेशियाँ कहते है |
मांसपेशियां शरीर के विभिन्न कार्य करती है ; जैसे – अस्थियो को मांस पेशियों से जोड़ना ,हड्डियों को हड्डियों से जोड़ना , चलना, फिरना,घूमनाबैठना,कार्य करना आदि |इनमे से कुछ कार्य त्वचा की सहायता से पेशीय करती है तथा कुछ आंतरिक अंगो द्वारा पेशीया करती है, जैसे श्वांस लेना, मल-मूत्र विसर्जन, भोजन का पाचन, रक्त परिसंचरण आदि.
इसी कारण विभिन्न स्थानों की पेश्यो की रचना में भी विभिन्नता होती है | इनकी आंतरिक रचना व् कार्यो के आधार पर पेशियों की अग्रलिखित तिन भागो में बाँटा गया है –
1.ऐच्छिक पेशियाँ ( voluntary Muscies )-
ये पेशीय कंकाल के समस्त भागो से सम्बन्धित है |ये अस्थि सन्धियों में गति उत्पन्न करती है|इनकी गति मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है | इनमे अत्यधिक शक्ति होती है | ये तजी से कार्य करती है।
ऐच्छिक पेशी की कोशाये लम्बे, बेलनाकार,तन्तु या सूत्र के समान होती है | इन तंतुओ पर गहरे तथा हल्के रंग की पट्टी होती है | ईएसआई कर्ण इन्हे रेखित पेशी भी कहते है |ये पेशी आँख, नाक,कान, चेहरा, हाथ,पैर आदि पर पायी जाती है।
2. अनैच्छिक पेशियाँ ( involuntary Muscies ) –
इनकी गति धीमी व सदैव एक समान होती है |इनकी गति पर मस्तिष्क का नियन्त्रण नही होता है| ये बिना रुके दिन – रात कार्य करती रहती है। फिर भी इन्हें थकान उत्पन्न नहीं होती है। यह प्राय: खोखले अंगो में पाई जाती है:
जैसे-आहार नाल, मूत्राशय, पित्ताशय, गर्भाशय,श्वास नल, योनी,रक्तवाहिनियो में, प्लीहा, नेत्रों आदि में। रक्त का परिभ्रमण,आहारनाल में भोजन का खिसकना आदि इन्ही पेशियों के सहायता से चलते है |
ये आरेखित पेशी कहलाती है। इनके पेशी तन्तु अधिक छोटे, महीन एक तुर्क रूपि होते है। ये अस्थियो के प्रत्यक्ष सम्पर्क में नही होती है|
3.ह्रदय पेशी ( Cardiac Muscies )-
इन पेशियों से ही ह्रदय की दीवार बनती है इन पेशियों में एच्छिक व अनैच्छिक दोनों प्रकार के गुण पाए जाते है | इन पैसों से ही हृदय की दीवार बनती है इनकी संरचना रेखित पेशी जैसे होती है। परन्तु एन पर मानव की इच्छा का नियंत्रण न होकर आरेखित पेशी के समान अनैच्छिक होती है.
इस पेशी की रचना अपेक्षाकृत छोटे व् मोटे बेलनाकार पेशी तन्तु से होती है | ये परस्पर सती हुई लम्बी – लम्बी जुडी दी दिखाई देती है | इंनके बिच में अन्तराल होता है |इस प्रकार अधिकांश ह्र्द्यपेशी जाल सा बनाए रहती है |
ह्रदय मनव की इच्छा से स्वतंत्र, अपने आप बिना रुके, बिना थके तथा सामान्य परिस्थितियों में एक निशिचित दर पर 72 बार प्रति मिनट एक समान जीबन फैलता व सिकुड़ता रहता है |ह्रदय पेशियों में रक्त का परिसंचरण अधिक मात्रा में होता है |
पेशियों के कार्य (Work of Musles)-
पेशियों में यह गुण होता है की वे सिकुडकर छोटी और मोटी हो सकती है और पुन:फैलकर अपने पूर्व रूप में आ सकती है पेशियों द्वारा होने वाले सभी कार्य उनके इसी गुण पर आधारित होते है।
पेशियों में फैलने व सिकुड़ने का गुण नहीं होता तो हमारे शरीर का कोई भी अंग कार्य नही करता अत:हम कह सकते पेशियों का कार्य शरीर के अंगो को गति प्रदान करना है अत: हमारे शरीर में सभी क्रिया पेशियों द्वारा ही होती हैं। शरीर के विभिन्न अंगों प्रकार की गति करते हैं।
उदहारण –
हमारे कंधे की हड्डी कोहनी के नीचे दो अलग-अलग हड्डियों से अलग-अलग पेशियों द्वारा जुडी होती है कंधे की हड्डी कोरेडियस हड्डी से जोड़ने का काम बैसेप्स पेशी द्वारा होता है।
तथा कंधे की हड्डी को आलू ना हड्डी से जोड़ने का काम ट्राइसेप्स पेशी के द्वारा होता है। जब हाथ को ऊपर उठाना होता है तो बायसेप्स पेशी में सुकडन होती है जब हाथ को वापिस सीधा किया जाता है ट्राइसेप्स पेशी में सिकुडन पैदा होती है।
मांसपेशियों की उपयोग
मांसपेशियां हमारे शरीर में निम्न प्रकार से उपयोगी है |
- यह शरीर को मजबूती प्रदान करती है|
- यह हमारे शरीर को सुंदरता प्रदान करती हैं|
- मांसपेशियां कंकाल तंत्र त्वचा के रूप में एक सुरक्षित आवरण बनती है |
- मांसपेशियां हमारे शरीर की बाहरी सतह पर होने वाले आघातों से शरीर के आंतरिक अंगो की सुरक्षा करती है|
- मांसपेशियां हमारे शरीर में कहां से जाने वाली हानिकारक कीटाणु से शरीर की सुरक्षा करती है |
- मांस पेशियों हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को आकार प्रदान करती हैं
- ह्रदय, फेफडे आदि विशेष अंगो को आधार प्रदान करती है|
- मांसपेशियों गतिशीलता के कारण हमारा शरीर उठने बैठने चलने फिरने की क्रिया करता है यदि हमारी मांसपेशियां गलती से नहीं होती तो हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं पहुंच पाते|
पेशियाँ और उनका स्वास्थ्य-
शरीर को गतिशील रखने के लिए शरीर के प्रत्येक उनका सुचारू रूप से या भली भांति कार्य करना बहुत ही आवश्यक है इसके लिए हमें अपने शरीर की मांसपेशियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए लगातार कार्य करने से इनकी कोशिकाओं व ऊतकों में टूट-फूट होती रहती है।
या मांसपेशियों की कोशिकाएं या उनके ऊतक सही से कार्य नहीं कर पाते तो ऐसी स्थिति में हमारे शरीर को आराम की आवश्यकता होती है जिससे पेशियों की कोशिकाओं व ऊतको को आराम मिल जाता है कुछ समय पश्चात वह अपना कार्य करना प्रारंभ कर देते हैं यदि मांसपेशियों को आराम नहीं मिलता तो बे धीरे-धीरे निष्क्रिय अर्थात कार्य करना बंद कर देती है|
पेशियों को स्वस्थ रखने के लिए निम्न उपाय हैं
1. संतुलित एवं पौष्टिक भोजन-
पेशियों के निर्माण प्रोटीन का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहता है अत: हमारे भोजन में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होना चाहिए| प्रोटीन की प्रचुर मात्रा केलिए हमें अनेक प्रकार के पदार्थों का सेवन करना चाहिए|
जैसे-दाल, दूध, घी, मांस, अंडा और मछली आदि इसी कारण गर्भवती महिलाओं को, स्तनपान करने वाली महिलाओं, बढ़ते बच्चों और मानसिक तौर पर कार्य करने वाले व्यक्तियों को अधिक प्रोटीन युक्त भोजन की आवश्यकता होती है प्रोटीन युक्त भोजन से शरीर स्वस्थ रहता है और पेशियों में होने वाली टूट-फूट की पूर्ति या मरम्मत होती रहती है|
2. विश्राम ( Rest )-
कार्य करने से मांसपेशियों में कुछ रासायनिक परिवर्तन हो जाता है जिससे शरीर के विशेष भाग में अम्ल एकत्रित हो जाता है इन हानिकारक पदार्थों को हटाना अति आवश्यक होता अर्थात कहने का मतलब है की कार्य करने के पश्चात पेशियों को कुछ समय के लिए विश्राम की आवश्यकता होती है।
जिससे हानिकारक पदार्थ दूर हो सके| यदि विश्राम नहीं किया गया तो हानिकारक पदार्थ अधिक मात्रा में इकट्ठे हो जाएंगे और इनको हटाने के लिए अधिक ऊर्जा का कार्य की आवश्यकता होगी|
अत: है जब हम किसी कार्य को कर रहे हो तो वह अंग जो कार्य करने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है और उसमें थकान होने लगे तो हमें उसके विश्राम के लिए रुक जाना चाहिए|
जैसे- दौड़ लगाने वाले व्यक्तियों की पिंडलियो मैं दर्द रहने का यही कारण है लगातार दौड़ लगाने से मांसपेशियों को आराम नहीं मिलता है और उन्हें दर्द रहने लगता है यह दर्द एसिटीक अम्ल के इकट्ठा होने के कारण होता है|
3. व्यायाम ( Exercise )-
जहां एक और अधिक काम ले जाने से पेशियां थक जाती है वहीं दूसरी ओर इनसे काम में ले जाने से यह सकती हो जाती हैं| और तब तक किसी भी प्रकार का काम करने के लिए असमर्थ होते हैं। अतः इसके लिए व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। करने के लिए खुले स्थान, शुद्ध हवा की आवश्यकता होती है जिससे मांसपेशियों फुर्तीली रहती है|
4. शुद्ध हवा( Fresh Air )-
मांस पेशियों की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है परिश्रम व व्यायाम करने से अधिक वायु को मिलती है जिससे लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण| इससे मांसपेशियां सुदृढ़ बनती है| साथ शरीर को फुर्ती सुंदरता प्रदान होती है|
शरीर को सुड़ोल और सुंदर बनाने के लिए मांस पेशियों का चुस्त करना बहुत ही आवश्यक है इसके लिए हमें पौष्टिक भोजन, व्यायाम और विश्राम की आवश्यकता होती है|