वर्तनी का मतलब शब्दों की शुद्धि होता है। जैसे कोई शब्द शुद्ध रूप में किस प्रकार लिखा जाता है। किसी शब्द के शुद्ध हिस्से (Spelling) को वर्तनी कहते है।
वर्तनी की शुद्धि लगातार अभ्यास पर निर्भर करती है।
हिंदी भाषा में वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ [ वर्तनी के प्रकार ]
- स्वर या मात्रा सम्बंधित अशुद्धियाँ
- व्यंजन संबंधी अशुद्धियां
- समास संबंधी अशुद्धियां
- संधि संबंधी अशुद्धियां
- विसर्ग संबंधी अशुद्धियां
- हलंत संबंधी अशुद्धियां
उपर्युक्त सभी प्रकार की सुखदेव से संबंधित आवश्यक बातें:
1. स्वर यात्रा संबंधी अशुद्धियां
जब अशुद्धियाँ स्वर और उनके मात्राओं के त्रुटिपूर्ण प्रयोग के कारण होती है तो उन्हें स्वर या मात्रा सम्बन्धी अशुद्धियाँ कहते है।
अ और आ
अ के स्थान पर आ का प्रयोग आमतोर पर देखने को मिलता है।
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
आपराध | अपराध |
आनाज | अनाज |
आधीन | अधीन |
आजमेर | अजमेर |
आपराधि | अपराधी |
अनाधिकर | अनधिकार |
गत्यावरोध | गत्यवरोध |
आनिवार्य | अनिवार्य |
आधिकार | अधिकार |
अत्याधिक | अत्यधिक |
आ के स्थान पर अ का प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
बजार | बाजार |
अजाद | आजाद |
बदाम | बादाम |
किनार | किनारा |
समान | सामान |
स्वभाविक | स्वाभाविक |
न्यायलय | न्यायालय |
व्यपार | व्यापार |
नलायक | नालायक |
व्यवसायिक | व्यावसायिक |
जपान | जापान |
पकिस्तान | पाकिस्तान |
स्वध्याय | स्वाध्याय |
संसारिक | सांसारिक |
इ और ई
प्रायः लिखते समय इ के स्थान पर ई का अशुद्ध प्रयोग हो जाता है।
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अत्यधीक | अत्यधिक |
आनाधीकार | अनाधिकार |
नीती | नीति |
तिथी | तिथि |
दीनांक | दिनांक |
दील | दिल |
मुनी | मुनि |
वराटीका | वराटिका |
वीरम | विराम |
नीर्धारित | निर्धारित |
क्षत्रीय | क्षत्रिय |
शान्त्ती | शान्ति |
प्रीती | प्रीति |
साथ ही लिखते समय ई के स्थान पर इ का अशुद्ध प्रयोग हो जाता है।
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अभि | अभी |
पहेलि | पहेली |
प्रतिक्षा | प्रतीक्षा |
दिवाली | दीवाली |
कहानि | कहानी |
कमजोरि | कमजोरी |
निरिक्षण | निरीक्षण |
अतित | अतीत |
हिंदि | हिंदी |
लिजिय | लिजिय |
दिजिए | दीजिए |
सूचि | सूची |
सूचि-पत्र | सूची- पत्र |
उ और ऊ
उ के स्थान पर ऊ का प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
साधू | साधु |
शूष्क | शुष्क |
शंकू | शंकु |
भानू | भानु |
हेतू | हेतु |
दूश्मन | दुश्मन |
रिपू | रिपु |
दूनिया | दुनिया |
सूई | सुई |
सिन्धू | सिन्धु |
पूष्प | पुष्प |
पूत्र | पुत्र |
पूत्री | पुत्री |
बन्धू | बन्धु |
सिन्धू | सिन्धु |
ऊ के स्थान पर उ का उपयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
पुज्य | पूज्य |
रुप | रूप |
सिन्दुर | सिन्दूर |
पुंजी | पूँजी |
आँसु | आँसू |
हिन्दु | हिन्दू |
ए और ऐ
ए के स्थान पर ऐ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
चैयरमैन | चेयरमैन |
मैला ( गंदा ) | मेला ( उत्सव ) |
वैश्या | वेश्या |
बैल ( जान्वर ) | बेल ( फल ) |
सैर ( घूमना ) | सेर ( वजन ) |
सैन ( संकेत ) | सेन |
ऐ के स्थान पर ए
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
सेनिक | सैनिक |
चेन | चैन |
जेसा | जैसा |
वेसा | वैसा |
पेसा | पैसा |
वेश्य | वैश्य |
ओ और औ के प्रयोग की भूलें
ओ के स्थान पर औ का प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
खोलना | खौलना |
शोक | शौक़ |
कोर | कौर |
ओर | और |
कोड़ी | कौड़ी |
ओरत | औरत |
औ के स्थान पर ओ का प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
भोतिक | भौतिक |
योवन | यौवन |
मोन | मौन |
ओपचारिक | औपचारिक |
मात्राओं का सही प्रयोग न करने के कारण होने बाली वर्तनी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
वाहनी | वाहिनी |
कुमुदनी | कुमुदिनी |
कठनाई | कठिनाई |
पुजारन | पुजारिन |
शिवर | शिविर |
मलन | मलिन |
कभी कभी ‘इ’ की मात्रा का अधिक प्रयोग या ग़लत स्थान पर प्रयोग किया जाता है।
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कवियित्री/कवियत्री | कवयित्री |
रचियिता/रचियता | रचयिता |
स्वर और मात्रा के अधिक प्रयोग होने के कारण होने बाली अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
सामिग्री | सामग्री |
वापिस | वापस |
महिनत | मेहनत |
पहिला | पहला |
पहिनना | पहनना |
किरषी | कृषि |
छपकलि | छिपकली |
प्रदर्शिनी | प्रदर्शनी |
चंद्रबिंदु के स्थान पर अनुस्वार का त्रुटिपूर्ण प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अंधेरा | अँधेरा |
आंधी | आँधी |
ऊंट | ऊँट |
जहां | जहाँ |
पहुंचा | पहुँचा |
ऊंचा | ऊँचा |
आंख | आँख |
अनुस्वार के स्थान पर चंद्रबदनी का त्रुटिपूर्ण प्रयोग होता है
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
गाँधी | गांधी |
अँगुरी | अंगूरी |
अँगूर | अंगूर |
अँजुली | अंजुली |
अँगुली | अंगुली |
अँगारा | अंगारा |
2. व्यंजन संबंधी अशुद्धियां
‘ण’ और ‘न’ का अशुद्ध प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
पुरान | पुराण |
पुने | पुणे |
पाषन | पाषण |
रनभूमि | रणभूमि |
राना | राणा |
निर्गुन | निर्गुण |
बीनु | वेणु |
रामायन | रामायण |
बान | बाण |
स्पष्टीकरन | स्पष्टीकरण |
मरन | मरण |
गुन | गुण |
निर्मान | निर्माण |
‘व’ के स्थान पर ‘ब’ का प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
बिकास | विकास |
बिराम | विराम |
बह | वह |
बिकार | विकार |
बिसिष्ट | विशिष्ट |
बाक्यांश | वाक्यांश |
बम | वम |
बासुदेव | वासुदेव |
बर | वर |
बापस | वापस |
बचन | वचन |
बसंत | वसंत |
बाल्मीकि | वाल्मीकि |
‘ब’ के स्थान पर ‘व’ का प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
विंडो | बिंडो |
वालक | बालक |
वावर | बाबर |
विंदु | बिंदु |
वालिका | बालिका |
वाजार | बाजार |
विजली | बिजली |
वाण | बाण |
वाग | बाग |
वाप | बाप |
वणाहत | बाणाहत |
वाघ | बाघ |
वाह्य | बाह्य |
वडा | बड़ा |
वार | बार |
‘व’ और ‘ब’ के अशुद्ध प्रयोग से कई शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
बेला | फुल का नाम |
वेला | समय |
वाद | मुकदमा |
बार | आवृत्ति |
वार | आघात |
बाद | पीछे |
‘य’ और ‘ज’ के प्रयोग की अशुद्धियां
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
जम लोक | यम लोक |
जादव | यादव |
जंग | यंग |
जूरोप | यूरोप |
जान | यान |
जौवन | यौवन |
जोग | योग |
जम | यम |
जशोदा | यशोदा |
जमुना | यमुना |
जजमानी | यजमानी |
जह | यह |
‘श’ ‘ष’और ‘स’ के प्रयोग की अशुद्धियां
‘श’ के स्थान पर ‘स’
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कलस | कलश |
कमलेस | कमलेश |
सोचनीय | शोचनीय |
हमेसा | हमेशा |
सासन | शासन |
आसा | आशा |
महेस | महेश |
सनिवार | शनिवार |
सौचालय | शौचालय |
साम | शाम |
सब्द | शब्द |
साखा | शाखा |
संकू | शंकु |
स्याम | श्याम |
सरीर | शरीर |
‘स’ के स्थान पर ‘श’
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
लश्शी | लस्सी |
आशान | आसमान |
किशान | किसान |
शाबुन | साबुन |
शहज | सहज |
शर्प | सर्प |
शाथ | साथ |
‘ष’ के स्थान पर ‘श’ या ‘स’
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
शोशक | शोषक |
घोस | घोष |
दुस्कर | दुष्कर |
भास्य | भाष्य |
कुछ शव्दों में ‘स’ और ‘श’ का प्रयोग शब्दों का अर्थ ही बदल देता है
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
शाख | शाखा |
साख | प्रतिष्ठा |
शाला | भवन |
साला | पत्नी का भाई |
सर | सरोवर |
शंकर | शिव |
‘ष्ठ’ और ष्ट की अशुद्ध
‘ष्ट’ के स्थान पर ‘ष्ठ’
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अभीष्ठ | अभीष्ट |
संतुष्ठ | संतुष्ट |
इष्ठ | इष्ट |
सम्पुष्ठ | सम्पुष्ट |
आकृष्ठ | आकृष्ट |
प्रविष्ठ | प्रविष्ट |
‘ष्ठ’ के स्थान पर ‘ष्ट’ का प्रयोग
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कनिष्ट | कनिष्ठ |
वरिष्ट | वरिष्ठ |
पृष्ट | पृष्ठ |
ओष्ट | ओष्ठ |
निष्ट | निष्ठ |
वसिष्ट | वसिष्ठ |
‘क्ष’ और ‘छ’ की अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
नच्छत्र | नक्षत्र |
भिच्छा | भिक्षा |
दीच्छा | दीक्षा |
शिच्छा | शिक्षा |
कच्छा | कक्षा |
नछत्र | नक्षत्र |
छति | क्षति |
इसके विपरीत ‘छ’ के स्थान पर ‘क्ष’ का भी प्रयोग अशुद्ध होता है
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
क्षडी | छड़ी |
क्षत्र | छत्र |
उक्षवास | उच्छवास |
इक्षा | इच्छा |
‘ज्ञ’ और ‘ग्य’ की अशुद्धि
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
ग्यान | ज्ञान |
ग्याता | ज्ञाता |
ग्यानी | ज्ञानी |
विग्य | विज्ञ |
कृतग्य | कृतज्ञ |
ग्यापित | ज्ञापित |
महा प्राण के स्थान पर अल्पप्राण के प्रयोग की अशुध्दिया-
( 1 ) व्यंजनों को पांच वर्गो में विभजित किया गया है कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग,तवर्ग और पवर्ग में विभाजित किया गया है इन सभी वर्गो में 5-5 व्यंजन आते है इन्हे हम स्पर्श व्यंजन भी कहते हैं स्पर्श व्यजनो की संख्या 25 होती है स्पर्श व्यंजन उन्हें कहते जो बोलते समय मुख के भगो का स्पर्श करते हैं| इनमें से कुछ व्यंजन ऐसे होते हैं जिन्हें बोलने के लिए अधिक जोर लगाना पड़ता है और कुछ के उच्चारण में बहुत कमजोर लगाना पड़ता है|
प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा अक्षर महाप्राण होता है और शेष बचे हुए अक्षर अल्प्राण होते हैं: जैसे कि ‘क’ वर्ग में ‘ख़’और ‘घ’ महाप्राण होते है महाप्राण होते हैंउच्चारण का ज्ञान ठीक न होने के करण उच्चारण में भिन्ता आ जाती है| कश्मीर के लोग ‘घ’ को ‘ग’, ‘ध’ को ‘द’ और ‘भ’ को ‘ब’ बोलते है| जैसे-
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
काना | खाना |
पैदा | पैदा |
कंगा | कंघा |
धंदा | धंधा |
गर | घर |
पंचमाक्षर की गलती –
पंचमाक्षर ‘ड’, ‘ण’, ‘न’ और ‘म’ का मेल अपने ही वर्ग के व्यंजनों से होता है
ड –
ण- खण्ड ( खंड ) काण्ड ( कांड ) ताण्डव ( तांडव ) पांडव ( पांडव )आदि
न- अन्त ( अंत ), कान्त ( कांत ), पन्थ ( पंथ ), बन्द( बंद ) आदि
म – अम्बा ( अंबा ), पम्प ( पंप ), चम्पा ( चंपा ) आदि
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कन्ठ | कंठ |
रन्क | रंक |
पन्डित | पंडित |
लन्का | लंका |
व्यंजन – संयोग : तत्सम्बन्धी भूलें
व्यंजन प्रयोग से तात्पर्य है दो व्यंजनों का समीप आकर मिल जाना अर्थात किसी एक व्यंजन का स्वर रहित रूप जब अपने आगामी बढ़ में जाकर मिल जाता हैतो व्यंजनों का सहयोग कहलाता है इनमें जानकारी कम होने के कारण भूल हो जाती हैं जिन की और ध्यान देना बहुत आवश्यक है
हिंदी में ‘द’ और ‘ह’ के प्रयोग से बहुत से शब्द बनते हैं इनके निर्माण की प्रक्रिया बड़ी जटिल होती है यह वर्ण आधे नहीं लिखे जा सकते इस कारण इनके साथ आने वाले हैं से वर्णों को जो आधे लिखे जाते हैं और उनके पूर्ण होने पर भी आधा रूप प्रदान करते है जैसे –
द् ध (ध्द )
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
शुद् ध | शुद्ध |
उद् धव | उद्धव |
समृदध | समृध्द |
सिदिध | सिध्दि |
वृद् ध | वृध्द |
अवरुद् ध | अवरूध्द |
द् व ( द्व )
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
द्वंव द् व | द्वंद |
द् वितीय | द्वितीय |
द् वीप | द्वीप |
द् विगुणित | द्विगुणित |
द् वारा | द्वारा |
द् वापर | द्वापर |
द् विज | द्विज |
‘र’ के संयोग की अशुद्धियां –
‘र’ के सहयोग से अनेक भूलेख होती हैं इसका कारण ‘आधे र’ का परिवर्तित रूप तथा पूर्ण ‘र’ आधे वर्ण के साथ सहयोग है आधे ‘र’ का मतलब होता है यदि पूरे र से स्वर को निकाल दिया जाए तो आधा र बन जाता है
यदि रेफ का प्रयोग किसी वर्ण पर हो, यह भूल प्राय सबसे अधिक होती है इसका उत्तर है कि रेफ का प्रयोग जिस वर्ण से पूर्व होता है वह उसी के ऊपर चढ़ाया जाता है| सिर्फ का प्रयोग शिरोरेखा के ऊपर करते हैं
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कर् म | कर्म |
शर् मा | शर्मा |
वर् मा | वर्मा |
आशीर् वाद | आशीर्वाद |
स्वर् ग | स्वर्ग |
नर् क | नर्क |
अनुत्तीर् ण | अनुत्तीर्ण |
उत्तीर् ण | उत्तीर्ण |
रेफ के कारण होने वाली भूल की ओर ध्यान देना भी आवश्यक है|
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
आदर्श | आर्दश |
आर्चाय | आचार्य |
सर्वग | स्वर्ग |
असर्मथ | असमर्थ |
मयार्दा | मर्यादा |
आशीवार्द | आशीर्वाद |
दुदर्शा | दुदर्शा |
शकर्रा | शर्करा |
र्दद | दर्द |
र्दम | मर्द |
आधे वर्ण के साथ अक्षर ‘र’ का प्रयोग-
जब किसी भीआधे वर्ण के साथ ‘र’ का सहयोग होता है तो ‘र’ अपना रूप छोड़ देता है| या ‘र’ परिवर्तित हो जाता है और उस वर्ण के नीचे की ओर लग जाता है ‘र’ वर्ण में नीचे की और लगने से आधा वर्ण पूरा हो जाता है| परंतु उसकी ध्वनि आधी रह जाती है ऐसी अवस्था में जब भी कभी प्रश्न किया जाता है तो उत्तर मिलता है कि यहां ‘र’ आधा है-
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
द्र रव | द्रव |
ड् राम | ड्रामा |
प् रणाम | प्रणाम |
भ् रम | भ्रम |
समुद् र | समुद्र |
ब् रज | व्रज |
पत् र | पत्र |
चक् र | चक्र |
ऋ और र की अशुध्दियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
म्रत्यु | मृत्यु |
क्रमी | कृमि |
श्रंखला | शृंखला |
क्रहित | कृहित |
क्रषि | कृषि |
म्रग | मृग |
क्रष्णा | कृष्णा |
क्रपा | कृपा |
क्रपण | कृपण |
क्रश | कृश |
3. समास संबंधी अशुद्धियां
समास का अर्थ है- दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक शब्द का रूप देना| कई बार समास बनाते हुए गलतियां हो जाती हैं इस कारण होने वाली भूले निम्नलिखित है|
समास दो या दो से अधिक पदों से मिलकर बना होता है जब यह तो पद आपस में मिल जाते हैं तो पूरे पद का एक ही अर्थ निकलता है और समास समाज की पहचान चिह्न व् शब्दों से की जाती है
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
आत्माहत्या | आत्महत्या |
आत्मापुरुष | आत्मपुरुष |
निरपराधी | निरपराध |
राजागण | राजगण |
राजाव्यवस्था | राजव्यवस्था |
प्रक्रीया | प्रक्रिया |
मंत्री | मंत्रि |
राजातन्त्र | राजतन्त्र |
प्राजातन्त्र | प्रजातन्त्र |
स्वामि | स्वामी |
लन्का | लंका |
रामायन | रामायण |
जपान | जापान |
4. संधि संबंधी अशुद्धियां
संधि अर्थात दो या दो से अधिक शब्दों का स्वर, व्यंजन आदि का मिलना या जोड़ को संधि कहते हैं|
इनके नियम पूरी तरह से विस्तृत परंतु कोई व्यक्ति नियमों को कितना भी याद कर ले पढ़ ले परंतु वह संधि के जोड़ में गलती कर ही देता है|
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
परमर्थ | परमार्थ |
भानुदय | भानूदय |
सदोपयोग | सदुपयोग |
अभियूक्त | अभियुक्त |
5. विसर्ग संबंधी अशुद्धियां
सामान्यतः उच्चारण विसर्ग का उच्चारण ‘ह’वर्ण के निकट होता है किंतु संस्कृत में संधि करते समय अलग-अलग स्थानों पर यह अलग-अलग वर्णों में बदल जाता है इन के नियमों की जानकारी कम होने के कारण ‘ह’ लगा देते हैं तो कभी अ के डंडे को विलुप्त कर देते हैं यह प्रयोग अशुद्ध होते हैं|
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
दुख | दुःख |
निशुल्क | नि:शुल्क |
सामान्यतह | सामान्यत: |
पुना | पुनः |
प्रात काल | प्रात : काल |
अतह | अत: |
6. हलंत संबंधी अशुद्धियां
आधुनिक हिंदी भाषा के विद्वानों ने नवीन संस्कार क्या है जिसमें हलंत के प्रयोग की कोई आवश्यकता नहीं होती है परंतु हलन्त का प्रयोग शुद्ध होता है|
किसी शब्द को पूरा लिखते हुए भी हलन्त लगा दिया जाता है जिसे पूर्ण लिखा हुआ शब्द आधा प्रतीत होता है यह प्रदर्शित होता है इस संबंध में जानकारी हो कम होने के कारण अनेक अशुद्धियां हो जाती हैं कहीं पर इनके प्रयोग की आवश्यकता बहुत आवश्यक होती है परंतु उनका प्रयोग नहीं किया जाता है|
इनका अधिकतम प्रयोग हिंदी में गिनती यों को लिखते हुए क्या जाता है जो त्रुटी पूर्ण होता है आगे हम इनके बारे में ही जानकारी प्राप्त करेंगे की गिनती को हिंदी में लिखने का शुद्ध रूप क्या है
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
प्रथम् | प्रथम |
द्वितीयत् | द्वितीय |
पंचम् | पंचम |
सप्तम् | सप्तम |
दशम् | दशम |
पठित् | पठित |
परम् | परम |