यकृत किसे कहते है Yakrat Kise Kahate Hain [ Liver Hindi ]

यकृत किसे कहते है Yakrat Kise Kahate Hain [ Liver Hindi ]

यकृत किसे कहते है, What is Liver in Hindi, यकृत के कार्य, यकृत के रोग और उनके लक्षण।

यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है यह उदर के उपरी भाग में डायाफर्म के नीचे दाहिनी और स्थित होता है| इसकी लम्बाई लगभग 20-25 Cm होती है इसका दाहिना भाग मोटा व चौड़ा होता है तथा बाया भाग पतला व चपटा होता है इसका बजन लगभग 1 . 500 kg होता है

यह गहरा लाल रंग का होता है| ग्रहणी में जो पित्त नामक रस बाहर से आकर मिलता है| वह यकृत में ही बनता है| जब कभी रोग के कर्ण यकृत का आकर बढ़ता है तो यह पशलियों से बाहर निकल जाता है|

जिसको डॉक्टर हाथ से छूकर ही महसूस कर सकते हैं और इसी के आधार पर आपके लीवर में आई गई सूजन को पहचान सकते हैं।

यकृत में अधिकांश कोशिकये भू भुजी होती है जो यकृत कोशिकाए कहलाती है इसमे शुद्ध व अशुद्ध दोनों प्रकार का रुधिर लाया जाता है| जिसमे शुद्ध रुधिर ले जाने का कार्य यकृत धमनी करती है तथा अशुद्ध रुधिर ले जाने का कार्य निर्वाहिका शिरा करती है|

इस शिरा द्वारा सामान्यतः अमाशय, अग्न्याशय, और आँतो आदि से अशुद्ध रक्त को लाया जाता है।

यकृत के कार्य –

  1. यकृत पित्त रस बनाता है| पित्त रस भोजन के पाचन में सहयता करता है| यदि यकृत में पित्त रस की उत्पत्ति नहीं होगी तो खाने को पचने में सामान्य से दो से 3 गुना ज्यादा समय लगेगा जो कि बहुत ज्यादा लंबा समय है।
  2. यकृत के कारण रुधिर में शर्करा की मात्रा सदैव एक सी बनी रहती है यह शर्करा को गलाई कोजन में बदलकर अपनी कोशिकाओ में संग्रहित करता है| जब शरीर में किसी कारण से शर्करा की कमी होती है तो यह ग्लाइकोजन को दोबारा से शर्करा में बदलता है और शरीर को उसकी पूर्ति करवाता है।
  3. शरीर की कोशिकाओं में प्रोटीन के उप चयन होने पर कुछ अमोनिया बनती है। जो शरीर के लिए बहुत ज्यादा विषैली और हानिकारक होती है। रक्त द्वारा यह यकृत में पहुंचाई जाती है। यकृत अमोनिया को यूरिया और यूरिक अम्ल में बदलता है|
  4. आंतों में पाचन क्रिया के फल स्वरुप इंडोल और स्कैटोल नामक दो विषैले पदार्थ बनते हैं। जिन्हें रखती यहां से यकृत में पहुंचाता है। और यकृत इन्हें हानि रहित पदार्थ में बदल देता है जिससे हमारा शरीर स्वस्थ और सुरक्षित रहता है।
  5. यकृत कोशिकाए स्वयं विटामिन ए का निर्माण करती है| इसके साथ-साथ यकृत कोशिकाएं विटामिन बी विटामिन बी और विटामिन ए का संजय भी करती है।
  6. यकृत कोशिकाए विटामिन ए,विटामिन डी और बी का संचय करती है|
  7. यकृत कोशिकाए स्वयं प्रोथ्राम्बिन तथा फ्रैबिनोज्न रक्त नामक प्रोटीन्स का निर्माण करती है| यह प्रोटीन घावो म रक्त का थका जमाने का कार्य करता है|
  8. यकृत कोशिकाए रक्त में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को खत्म करती है|
  9. यकृत कोशिकायें अमीनो अम्ल, वसीय अम्ल, तथा वसा आदि पदार्थों से गलूकोस का संशेलेषण करती है। यकृत कोशिकाए वसा को घोलने का कार्य करती है| यह वसा को शोषित करके ईंधन के रूप में प्रयुक्त करती है।
  10. यकृत कोशिकाए वसा को शोषित करके ईंधन के रूप में प्रयुक्त कतरी है|
  11. यकृत कोशिकय्र हेपिरेन नामक पदार्थ का निर्माण करती है| इसका कार्य शरीर में रक्त की तरलता को बनाए रखना है। जिससे की शरीर में रुधिर का थक्का ना बन सके और हमारी रुधिर वाहिकाओं में यह आसानी से प्रवाहित हो सके।
  12. यकृत कोशिकाए लसिका द्रव्य का निर्माण भी करती है तथा ये रक्त को संग्रह क्र सुरक्षित रखती है|
  13. गर्भावस्था में यकृत कोशिकाएं शिशु के लिए रक्त का निर्माण भी करती हैं परंतु व्यस्त होने पर यह कोशिकाएं रखता निर्माण करने बंद कर देती हैं। तथा निष्क्रिय और मृत लाल रक्त कणिकाओं को नष्ट करके इसके हिमोग्लोबिन से पित्त का निर्माण करती हैं।

यकृत के रोग

  • एक्यूट हेपेटिक पोरफाइरिया
  • अलागिल सिंड्रोम
  • शराब से संबंधित लिवर की बीमारी
  • अल्फा -1 एंटीट्रिप्सिन की कमी
  • ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस
  • बेनिग्न लिवर ट्यूमर
  • पित्त नली का कैंसर (कोलेंजियोकार्सिनोमा)
  • बिलारी अत्रेसिया
  • बुद्ध-च्यारी सिंड्रोम
  • सिरैसस
  • क्रिगलर-नज्जर सिंड्रोम
  • galactosemia
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम
  • हेमोक्रोमैटोसिस
  • यकृत मस्तिष्क विधि
  • हेपेटाइटिस ए
  • हेपेटाइटिस बी
  • हेपेटाइटिस सी
  • हेपेटेरिनल सिंड्रोम
  • गर्भावस्था के अंतःस्रावी कोलेस्टेसिस (ICP)
  • लाइसोसोमल एसिड लाइपेस की कमी (LAL-D)
  • जिगर के अल्सर
  • यकृत कैंसर
  • नवजात पीलिया
  • गैर अल्कोहल वसा यकृत रोग
  • गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस
  • प्राथमिक पित्तवाहिनीशोथ (PBC)
  • प्राथमिक स्क्लेरोज़िंग चोलैंगाइटिस (PSC)
  • प्रगतिशील पारिवारिक इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस (PFIC)
  • री सिंड्रोम
  • टाइप I ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज
  • विल्सन रोग

यकृत को रोगों से बचाने के उपाय

  • प्रतिदिन संतुलित आहार लें।
  • अपने खाने में ताजे फल तथा सब्जियों का इस्तेमाल करें।
  • नियमित तौर से एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज करने से हमारे शरीर में खून का दौरान तेज होता है तथा खून एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है इससे हमारे लीवर को नया खून मिलता है और पुराना खून साफ हो जाता है।
  • सुबह को खाली पेट हल्का गुनगुना पानी पीना चाहिए तथा कुछ टहलने के बाद ही हमने मल त्याग करने के लिए जाना चाहिए।

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