हिंदी भाषा के इतिहास (Hindi bhasha ka itihas) में हम हिंदी भाषा का नामकरण तथा कालखंड के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हिंदी भाषा का इतिहास और नामकरण
- हिंदी शब्द के नामकरण का मूल आधार सिंधु नदी है।
- सिंधु नदी के पश्चिमी तट पर 14 लोग रहते थे इसी कारण ईरान का पुराना नाम पारसिया था।
- इन ईरानियों की भाषा पारसी थी जिसमें स वर्ण को ह वर्ण में उच्चारित किया जाता था। इस कारण से इन्होंने सिंधु नदी को हिंदू नदी कहा।
- हिंदी शब्द पारसी या ईरानी भाषा का शब्द है। तथा हिंदी शब्द का निर्माण हिंदवी शब्द से हुआ है।
- हिंदवी आर्यों की भाषा संस्कृत को कहा जाता था।
- हिंदी शब्द यूरोपीय परिवार के अंतर्गत आता है।
- आर्यों को इरानियो के द्वारा हिंदू कहा गया था।
हिंदी शब्द का विकास क्रम
भाषा शब्द की उत्पत्ति भाष नामक धातु से हुईं है।जो संस्कृत भाषा की एक धातु है। जिसका अर्थ होता है मन के विचारो या भावों को व्यक्त करना।
भाषा की परिभाषा
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह अपने मन के विचारों को प्रकट करने के लिए जिस माध्यम का इस्तेमाल करता है उसे भाषा कहते हैं।
अगर साधारण शब्दों में कहीं तो मन के विचारों को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले माध्यम को भाषा कहते हैं।
हिंदी भाषा का उद्भव
सभी भाषाओं का उद्भव या जननी संस्कृत भाषा को कहा जाता है इसी कारण संस्कृत भाषा को मूल भाषा कहा जाता है।
मूल भाषा को निम्नलिखित दो भागों में बांटा गया है:
- वैदिक संस्कृत
- लौकिक संस्कृत
वैदिक संस्कृत
यह मूल भाषा का वह भाग है जो प्राचीन समय में प्रयोग में लाया जाता था वेदों की रचना इसी मूल भाषा में की गई थी।
- वैदिक संस्कृत का अन्य नाम छंदस है।
- वैदिक संस्कृत की समय अवधि 15 100 से 1000 ईसा पूर्व मानी जाती है।
लौकिक संस्कृत
यह मूल भाषा का वह प्रकार है जिसके द्वारा रामायण में महाभारत की रचना की गई है।
- इसे महर्षि पाणिनि जी के द्वारा आधुनिक संस्कृत के उपनाम से जाना गया।
- लौकिक संस्कृत की समय अवधि 1000 से 500 ईसवी तक मानी जाती है।
पाली भाषा
संस्कृत के बाद वाली भाषा प्रयोग में आई जिसका समय 500 से पूर्व से एक शताब्दी तक माना जाता है।
- इसकी अवधि 1 ईस्वी से 500 ईसवी तक मानी जाती है।
- लौकिक संस्कृत बौद्ध धर्म की मूल भाषा है
प्राकृत भाषा
पाली भाषा के बाद में प्राकृत भाषा प्रयोग में आई जिसकी समय अवधि 1 ईस्वी से 500 ईसवी तक मानी जाती है।
- इस भाषा को जैनियों की भाषा कहा जाता है।
अपभ्रंश
प्राकृत भाषा का बिगड़ा हुआ रूप ही अपभ्रंश कहलाता है। इसके अंतर्गत शौरसेनी अपभ्रंश आता है जिससे हिंदी की उत्पत्ति हुई।
हिंदी की समय अवधि 1000 ईसवी से अब तक मानी जाती है यह कह सकते हैं कि वर्तमान समय तक मानी जाती है।
- भारत में सर्वाधिक प्रयोग में आने वाली भाषा भोजपुरी है।
हिंदी भाषा की उपभाषा तथा उनके अंतर्गत आने वाली वोलियाँ
पश्चिमी हिंदी
हिंदी की इस उपभाषा का निर्माण शोर सैनी अपभ्रंश से हुआ है। इसके अंतर्गत निम्न भाषा आती हैं:
पश्चिमी हिंदी की वोलियाँ
- खड़ी बोली
- ब्रजभाषा
- कन्नौजी
- बुंदेली
- हरियाणवी (वांगरू)
पूर्वी हिंदी
पूर्वी हिंदी का विकास अर्धमगधी अपभ्रंश से हुआ जिसमें 3 वोलियाँ आती हैं जो कि इस प्रकार हैं:
पूर्वी हिंदी की वोलियाँ
- अवधि
- बघेली
- छत्तीसगढ़ी
बिहारी हिंदी
बिहारी हिंदी का निर्माण मगधी अपभ्रंश से हुआ है जिसके अंतर्गत तीन वोलियाँ आती है।
बिहारी हिंदी की वोलियाँ
- मगधी
- मैथली
- भोजपुरी
पहाड़ी हिंदी
पहाड़ी हिंदी का निर्माण शोर सैनी अप भ्रंश से हुआ है। इसमें भी तीन वोलियाँ आती हैं:
पहाड़ी हिंदी की वोलियाँ
- कुल्लई
- गढ़वाली
- कुमाऊनी
राजस्थानी हिंदी
राजस्थानी हिंदी का निर्माण शोरसैनी अपभ्रंश से हुआ है। इसके अंतर्गत चार वोलियाँ आती हैं:
राजस्थानी हिंदी की वोलियाँ
- जयपुरी
- मेबाड़ी
- मालवी
- निमाड़ी
हिंदी की उपभाषाएँ पाँच होती हैं। तथा इसके अंतर्गत।18 बोलियां आती हैं।
- हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है इसको भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के तहत राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है।
- कारण 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत के राज्य जिन की राजकीय भाषा हिंदी
भारत के निम्नलिखित राज्य की राजकीय भाषा हिंदी है:
- उत्तर प्रदेश
- मध्य प्रदेश
- उत्तराखंड
- छत्तीसगढ़
- झारखंड
- बिहार
- राजस्थान
- हरियाणा
- हिमाचल प्रदेश
- दिल्ली
- जम्मू कश्मीर