संज्ञा किसे कहते है? ( Sangya Kise Kahate Hain ) संज्ञा की परिभाषा ( Sangya Ki Paribhasha ), संज्ञा के भेद ( Sangya Ke Bhed ),.
संज्ञा शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से हुई है सम + ज्ञा। जिसमें सम एक उपसर्ग है तथा ज्ञा इसमें मूल शब्द है। सम का अर्थ होता है सम्यक् रूप तथा ज्ञा का अर्थ होता है जानना।
इसलिए संज्ञा का शाब्दिक अर्थ होता है सम्यक् रूप से जानना।
पदार्थ के नाम को संज्ञा कहा जाता है तथा पदार्थ को संज्ञी कहा जाता है।
संज्ञा की परिभाषा
ऐसे व्याकरण के शब्द जिनके द्वारा किसी वस्तु, व्यक्ति तथा स्थान में मन के बहाव की व्युत्पत्ति होती है उसे संज्ञा कहा जाता है।
संज्ञा एक विकारी शब्द है जो कि लिंग वचन काल कारक के आधार पर बदल जाता है। संज्ञा का अन्य नाम महा नाम होता है।
संज्ञा के प्रकार [ भेद ]
संज्ञा के 3 मूल प्रकार होते हैं:
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
ऐसे संज्ञा शब्द जिनकी सहायता से एक व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान का बोध होता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं.
व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण
पुस्तकों के नाम: रामायण, महाभारत, कुरान शरीफ, बाइबल, शिव पुराण, विष्णु पुराण, इत्यादि.
देशों के नाम: भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, अमेरिका, इजराइल, रूस, इटली, जापान, फ्रांस, सूडान इत्यादि.
नदियों के नाम: गंगा, यमुना, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा इत्यादि.
पर्वतों के नाम: हिमालय, विंध्याचल, अरावली, गोवर्धन इत्यादि.
समाचार पत्रों के नाम: अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, हिंदुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स इत्यादि.
Note:
- यह ऐसी स्वतंत्र संज्ञा है जिन को बदला जा सकता है.
- व्यक्तिवाचक संज्ञा को निरर्थक कहा जाता है.
- इसमें हमेशा ऐसे शब्द आते हैं जो एकवचन रूप में होते हैं इनका बहुवचन नहीं बनाया जा सकता है.
उदाहरण: राम, गंगा नदी, भारत देश, हिमालय पर्वत इत्यादि.
2. जातिवाचक संज्ञा
संज्ञा शब्द जिनकी सहायता के द्वारा किसी एक विशेष प्रकार के समुदाय की जाति का बोध होता है उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं.
जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण
- लड़का
- लड़की
- पर्वत
- मनुष्य
- पशु
- नदी
- झरना
- पुस्तक
- त्यौहार
जातिवाचक संज्ञा से संबंधित विशेष बातें:
- यह ऐसी स्वतंत्र संज्ञा है जिसको बदला नहीं जा सकता है.
- जातिवाचक संज्ञा को सार्थक संज्ञा कहा जाता है क्योंकि इनका अर्थ होता है.
- जातिवाचक संज्ञा में ऐसे शब्द आते हैं जिनका बहुवचन बनाया जा सकता है.
3. भाववाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा वह स्वतंत्र संज्ञा है या मूल संज्ञा है जिनके द्वारा मन के भावों को व्यक्त किया जा सकता है.
भाववाचक संज्ञा के प्रकार:
भाववाचक संज्ञा मूल रूप से दो प्रकार की होती है:
- मूल या अयोगिक या स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा
- योगिक या अस्वतंत्र भाववाचक संज्ञा
अयोगिक या स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा
इसमें ऐसे शब्द आते हैं जिनमें प्रत्यय नहीं लगता है इस कारण इन्हें प्रत्यय रहित भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण:
- सुख,
- दुख
- क्रोध
- ईर्ष्या
- जन्म
- मृत्यु
- प्रेम
- रोग
योगिक या अस्वतंत्र भाववाचक संज्ञा
ऐसे भाववाचक शब्द जिनमें प्रत्यय का प्रयोग होता है उन्हें योगिक या ए स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा कहते हैं। इसे प्रत्यय सहित भाववाचक संज्ञा कहते हैं इसकी उत्पत्ति निम्नलिखित छह प्रकार से होती है:
1. व्यक्तिवाचक से
राम + त्व = रामत्व
हनुमान + ता = हनुमता
2. जातिवाचक से
किसान + ई = किसानी
पशु + ता = पशुता
3. सर्वनाम से
अपना + पन = अपनापन
तेरा + पन = तेरापन
4. क्रिया से
पढ़ना + ई = पढ़ाई
सजा + वट = सजावट
5. विशेषण से
सुंदर + ता = सुंदरता
बुरा + ई = बुराई
6. अव्यय से
तेज + ई = तेज़ी
दुर + ई = दूरी
उपभेद संज्ञा
यह दो प्रकार की होती हैं इसका निर्माण जातिवाचक संज्ञा से होता है।
समूहवाचक संज्ञा
ऐसे संज्ञा शब्द जिनके द्वारा किसी एक समूह का बोध होता है उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण
- अंगूर का गुच्छा
- बंदर की टोली
- चाबी का गुच्छा
- छात्र गण
- परिवार
- दस्ता
द्रव्यवाचक संज्ञा
द्रव्यवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा का एक भेद है इसमें विशेष प्रकार के पदार्थों को रखा गया है।
द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण
- पानी
- तेल
- सोना
- चांदी
- आभूषण
- गैस
इत्यादि